Monday 13 February 2012

मुहब्बतों से भरा वो जहाँ छोड़ आये

अपने     पीछे   यादों    के      निशां       छोड़   आये,
मुहब्बतों   से    भरा    वो       जहाँ   छोड़        आये |

मंजिल   पर    आकर   देखा  जो   सामान   -ए -सफ़र,
हर   चीज़       थी,    दिले      नादाँ      छोड़      आये|

जिसने    बदल     दिया    उनवान       ज़िन्दगी      का,
वो           हमनशीं,           मेहरबां      छोड़       आये|

वादियाँ  कोहसार , दश्त-ये पराश  , खूबसूरत  आबशार,
शाम        सुहानी,   सुबह     ,बहारां       छोड़     आये|


क्या    बताऊँ       दोस्तों  क्या  -क्या       छोड़    आये|
तस्कीन    -ए- दिल,       राहत   -ए-   जां,   छोड़  आये,

रौनक    थी जिनके दम से  बज्म-ए-हस्ती में   "क़सीम"
वो नूर   -ए-मुज्जसम , हुस्न     -ए- जाना   छोड़  आये.





Tuesday 7 February 2012

मेरी सोचों पे यह किसका पहरा है आजकल


मेरी  सोचों   पे   यह   किसका  पहरा   है    आजकल,
किताब-ए-ज़िन्दगी के  हर  वरक पर तेरा  चेहरा है    आजकल.

आजकल    मुझे    यह    क्या  हो रहा है, तुम्हें कुछ मालूम है,
जागती    आँखों    में    एक   ख्वाब  सुनहरा  है  आजकल.

मेरे   हर     एक    शेर     में    तुम्हारी   तस्वीर उभर आती  है,
मेरी    ग़ज़लों    से      तुम्हारा    रिश्ता     गहरा   है  आजकल.

Wednesday 18 January 2012

हम क़लम हम ज़ुबान बन जाओ


हम   क़लम     हम ज़ुबान   बन जाओ,
बन    सको तो     इन्सान   बन जाओ.

तारीकी    -ए- जेहालत    है      हर    सू,
नूर-ए-इल्म    बनो, फैज़ान बन    जाओ.

हालात  -ए-    जंग    हों         गर     पैदा,
वतन-ए-अज़ीज़ का पासबान बन जाओ.

Saturday 14 January 2012

शेर-ओ- सुखन के क़ायल हैं

शौउर  -ओ- फ़न के क़ायल हैं ,
शेर-ओ- सुखन  के  क़ायल हैं .

फूलों     पर   इन्ह्सार   नहीं ,
हम     चमन  के  क़ायल  है.

"क़सीम" 

Monday 9 January 2012

मेरा मुदावा -ए-ग़म बन जाओ

मेरा मुदावा -ए-ग़म    बन   जाओ
मेरा हाथ, मेरा  क़लम  बन जाओ.

लोग    तुझसे      रौशनी     मांगे
कुछ   ऐसे मेरे  सनम बन   जाओ.

"क़सीम"

Monday 2 January 2012

नया साल में ..

पूरी हो तुम्हारी हर ख्वाहिश, हर आरजू ,हर अरमान नए  साल में,
तुम्हारे   ऊपर खुशियों के फूल   बरसाये  आसमान , नए साल   में.


ग़म की  ज़रा    सी  हवा   भी   छूने   न   पाए, तुम्हारे  दामन को
ऐ जाने   ग़ज़ल, ख़ुदा  तुमपर     हो जाये मेहरबान , नए  साल  में. 

बेसहारों   का  सहारा     बनो ,  बीमारों     का      मसीहा     बनो, 
करो काम कुछ ऐसा ,फ़ख्र  करे तुम पर  सारा जहान, नए साल में.


गर मंज़िल-ए-जानां  की  जुस्तजू  है  ,दिल  में  तमन्ना   जवाँ  रख ,
दुश्वारियों की परवाह न कर,लगा दो अपना दिल-ओ जां,नए साल में.


माल-ओ -ज़र की आरज़ू नहीं ,तख़्त-ओ- ताज की तमन्ना नहीं "क़सीम"
गरीबों , दर्दमंदों ,  के  काम   आऊं,  बनूँ    ऐसा   इन्सान , नए   साल में .



































Tuesday 20 December 2011

हर बातों को वो सच्चाई की तराज़ू पर तौलने लगता है


हर बातों    को वो सच्चाई की तराज़ू    पर  तौलने लगता है,
जादूगर है वह  उनके अशआर में अल्फाज़ बोलने लगता है.

बड़े  पारसा   बने फिरते  है  वह  अहबाब  की  महफ़िल  में,
एक ज़रा हरी पत्ती की झलक देखी, इमान डोलने लगता   है.


 जो   ख़ुद  को  समझते   हैं   आलिज़र्फ़    और  शराफ़त वाले,
तबीयत पर ग्रां गुज़रे फिर गुस्सा उनका राज़ खोलने लगता है.


उनकी   बातों    से   ख़ुशबू आती    है प्यार   और   वफ़ा     की.
अपनी अंदाज़-ए- गुफ़्तगू से फिज़ा  में रस   घोलने लगता  है,

सख्त   नालां    सही    बच्चों          के     हरकतों    से,     क़सीम
हल्की   सी     खराश    भी  आये, माँ का प्यार बोलने लगता है.

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